स्वस्थ शरीर से ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है-पीयूष तिवारी
ऑनलाइन दक्षता विकास प्रशिक्षण के तहत छात्रों से किया गया संवाद
बिलासपुर। एसडीएम बिलासपुर पीयूष तिवारी ने बोर्ड परीक्षा परिणाम के समय बच्चों के तनाव को दूर करने के लिए जिला प्रशासन एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे फेसबुक लाइव कार्यक्रम में बच्चों पालकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने बालको से अपील की, कि अभी आगामी दिनों में 10वीं 12वीं के परीक्षा परिणाम आने वाले हैं अभी बच्चे फ्री हैं विद्यालय नहीं जा रहे हैं। अतः बहुत अच्छा मौका है कि आप अपने बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें। हो सके तो छुट्टी में बच्चों के साथ बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाएं क्योंकि ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता। इस समय आप बच्चों के ऊपर कोई चीज थोपिये मत । यदि आपका बच्चा परीक्षा परिणाम को लेकर के चिंतित नजर आ रहा है तो ऐसे समय में उसे हर फील्ड के लोगों से मिलवाइए, जिससे बच्चा अपने लिए एक अच्छा रुचिकर फील्ड चुन सके। बच्चों को कहिए कि वह अपने एफर्ट पर फोकस करें,हर कार्य में अपना बेस्ट दे, परंतु रिजल्ट पर फोकस ना रहे।
अनुविभागीय अधिकारी पीयूष तिवारी ने अपनी सफलता के बारे में बताया कि प्राइवेट नौकरी करते हुए जब पीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की तब 3 साल का टारगेट फिक्स किया था, अपना बेस्ट दिया और परिणाम सामने हैं कि जो सोचा था वह अपने तीसरे अटेम्प्ट में प्राप्त कर लिया। मैंने यह भी सोचा था कि यदि 3 साल में मुझे सफलता नहीं मिलती है डिप्टी कलेक्टर नहीं बन पाया तो मैं अपने पुराने जॉब में वापस चला जाऊंगा।
बच्चों से उन्होंने कहा कि प्यारे बच्चों लाइफ में अप और डाउन्स लगा रहता है, 10वीं और 12वीं सफलता की पहली सीढ़ी है अंतिम नहीं। उन्होंने बिलासपुर के कलेक्टर अवनीश शरण का उदाहरण दिया जिन्होंने दसवीं में ग्रेस से पास होने के बावजूद भी यूपीएससी जैसी सबसे बड़ी परीक्षा को क्रैक किया था। उन्होने कहा कि एक या दो असफलता से हिम्मत नहीं हारना चाहिए। उन्होंने शिक्षा विभाग से भी अपील की कि बच्चों को आत्म केंद्रित होने से बचने के लिए बच्चों के अधिक से अधिक टूर प्लान आयोजित किया जाना चाहिए, इसके अंतर्गत गवर्नमेंट स्कूल के बच्चों को प्राइवेट स्कूल और प्राइवेट स्कूल के बच्चों को गवर्नमेंट स्कूल – इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शहर और शहरी क्षेत्र के बच्चों को गांव का एक्सपोजर विजिट कराएं जिससे बच्चे की सोच का दायरा बढ़ सके।उन्होंने आज छोटे बच्चों में ट्यूशन की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए पालकों को आगाह किया कि बच्चों को ट्यूशन से मुक्त रखें । बच्चा जब तक मेच्योर नहीं हो जाता अर्थात दसवीं कक्षा के बाद ही बच्चों को कोचिंग सेंटर में भेजें उससे पहले नहीं । साथ ही उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के मोटिवेशनल कोर्सेज क्लासेस और फिजिकल एक्टिविटी को भी लागू करने पर विशेष जोर दिया।